तबला वादक ज़ाकिर हुसैन का निधन: संगीत जगत की बड़ी क्षति
सैन फ्रांसिस्को,15/12/2024 – भारतीय शास्त्रीय संगीत के महान तबला वादक और पद्म विभूषण सम्मानित ज़ाकिर हुसैन का आज निधन हो गया। लंबे समय से बीमार चल रहे ज़ाकिर का इलाज सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में हो रहा था। उनकी मृत्यु की खबर ने संगीत प्रेमियों और कलाकारों के बीच शोक की लहर पैदा कर दी है।
ज़ाकिर हुसैन का जीवन परिचय
ज़ाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ। उनके बचपन से ही संगीत के प्रति गहरी रुचि थी। पिता उस्ताद अल्ला रक्खा ने उन्हें तबले की प्रारंभिक शिक्षा दी और उनकी संगीत यात्रा को दिशा दी। वे प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा के पुत्र थे। संगीत में उनकी प्रारंभिक शिक्षा उनके पिता से हुई। ज़ाकिर ने कम उम्र में ही अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर दिया था और जल्द ही भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रमुख कलाकारों में गिने जाने लगे।
संगीत में योगदान
ज़ाकिर हुसैन ने भारतीय तबला वादन को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई। उनके उल्लेखनीय प्रदर्शनों में 1970 के दशक में यो-यो मा के साथ उनके सहयोग और “Shakti” बैंड के हिस्से के रूप में किए गए फ्यूजन संगीत प्रदर्शन शामिल हैं। इसके अलावा, कार्नेगी हॉल और लंदन के रॉयल अल्बर्ट हॉल में उनके एकल प्रदर्शन ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके तबले की थाप ने भारतीय और विदेशी संगीत प्रेमियों को मंत्रमुग्ध किया। उन्होंने भारतीय संगीत को पश्चिमी शैली के साथ जोड़कर एक नई धारा का निर्माण किया।
प्रमुख उपलब्धियां:
- ग्रैमी पुरस्कार: 1992 में ग्रैमी अवॉर्ड जीता, जो उनके एल्बम “Planet Drum” के लिए दिया गया।
- पद्म श्री: 1998 में उन्हें भारत सरकार ने पद्म श्री से सम्मानित किया।
- पद्म भूषण: 2002 में उन्हें पद्म भूषण से नवाजा गया।
- पद्म विभूषण: 2023 में उन्हें भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग: उन्होंने यो-यो मा, जॉन मैकलॉफलिन, और मिकी हार्ट जैसे प्रसिद्ध विदेशी कलाकारों के साथ काम किया।
तबला वादन की अनोखी शैली
ज़ाकिर हुसैन ने तबला वादन में नए आयाम जोड़े। उनके वादन की विशेषता उनकी तेज़ उंगलियों की गति और ताल की गहराई थी। उन्होंने न केवल शास्त्रीय बल्कि फ्यूजन म्यूजिक में भी अपनी खास जगह बनाई। उनका फ्यूजन बैंड “Shakti” दुनिया भर में प्रसिद्ध हुआ।
स्वास्थ्य और निधन
ज़ाकिर हुसैन पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। उनके परिवार ने उनकी बीमारी के बारे में अधिक जानकारी साझा नहीं की, लेकिन यह बताया गया कि वे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। सैन फ्रांसिस्को के अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था, लेकिन वे आज इस दुनिया को अलविदा कह गए।
संगीत जगत की प्रतिक्रिया
उनके निधन पर संगीतकारों और उनके प्रशंसकों ने शोक व्यक्त किया। कई प्रमुख हस्तियों ने भी अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी: “ज़ाकिर हुसैन जी का निधन भारतीय संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। उनकी कला सदैव हमें प्रेरणा देती रहेगी।”
- लता मंगेशकर: “ज़ाकिर जी के साथ बिताए गए पल हमेशा याद रहेंगे। वे एक महान कलाकार और अद्भुत व्यक्ति थे।”
- रवि शंकर के परिवार: “ज़ाकिर हुसैन भारतीय संगीत की आत्मा थे। उनकी थाप की गूंज हमेशा सुनाई देगी।”
- यो-यो मा: “ज़ाकिर का संगीत और व्यक्तित्व दोनों अविस्मरणीय हैं।”
- अनुष्का शंकर: “ज़ाकिर अंकल ने भारतीय संगीत को जो ऊंचाई दी, वह अतुलनीय है।”
परिवार और निजी जीवन
ज़ाकिर हुसैन अपने पीछे पत्नी तान्या और दो बेटियों को छोड़ गए हैं। तान्या भी एक प्रसिद्ध कलाकार हैं और परिवार ने हमेशा संगीत को ही अपना धर्म माना।
ज़ाकिर हुसैन की विरासत
ज़ाकिर हुसैन का जीवन और कार्य संगीत प्रेमियों के लिए प्रेरणा है। उनके वादन ने भारतीय संगीत को न केवल अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाई, बल्कि इसे नई ऊंचाइयों पर भी पहुंचाया। उन्होंने अपने करियर में 200 से अधिक एल्बम बनाए और शास्त्रीय से लेकर फ्यूजन संगीत तक हर शैली में महारत हासिल की। उनके योगदान ने युवा कलाकारों को संगीत के प्रति प्रेरित किया और भारतीय कला को वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाई। उनकी कला ने भारतीय संगीत को वैश्विक पहचान दिलाई और युवा कलाकारों को नई दिशा दी।
स्मरणीय क्षण:
- शास्त्रीय संगीत समारोहों में उनकी प्रस्तुतियां।
- “Shakti” बैंड का हिस्सा बनकर फ्यूजन संगीत को नई दिशा देना।
- युवाओं को संगीत के प्रति प्रेरित करना।
आगे की पीढ़ियों के लिए संदेश
ज़ाकिर हुसैन का जीवन यह दिखाता है कि जुनून और समर्पण से कुछ भी संभव है। उन्होंने यह साबित किया कि संगीत केवल एक कला नहीं, बल्कि यह सीमाओं को तोड़ने का माध्यम है।
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निष्कर्ष
ज़ाकिर हुसैन का जाना संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनके प्रशंसकों ने सोशल मीडिया पर उनकी अद्वितीय कला और सरल व्यक्तित्व की प्रशंसा की। एक प्रशंसक ने लिखा, “ज़ाकिर जी का संगीत हमारी आत्मा को छू जाता था। उनकी थाप में एक जादू था।” वहीं, एक अन्य संगीत प्रेमी ने कहा, “उनका योगदान भारतीय संगीत के लिए अतुलनीय है। वे सदैव हमारे दिलों में जीवित रहेंगे।” लेकिन उनकी कला, उनकी थाप और उनका योगदान सदैव अमर रहेगा। उनके संगीत की गूंज पीढ़ियों तक सुनाई देती रहेगी।