US presidential election 2024: स्विंग स्टेट मतदाता कैसे तय करेंगे परिणाम?

US presidential election 2024: स्विंग स्टेट मतदाता कैसे तय करेंगे परिणाम?

US presidential election 2024, 5 नवम्बर  को होने वाले अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव 2024 का मुकाबला एक बार फिर कड़ा होता नजर आ रहा है। जहां डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टियां अपने-अपने उम्मीदवारों के समर्थन में पूरी ताकत झोंक रही हैं

2024 में अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव एक निर्णायक मोड़ पर है, जहां स्विंग स्टेट्स की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। “स्विंग स्टेट्स” या “बैटलग्राउंड स्टेट्स” उन राज्यों को कहते हैं जहां चुनाव परिणाम अक्सर बदलते रहते हैं, और कोई एक पार्टी की स्थायी पकड़ नहीं होती।

us election 2024
Trump vs kamala harris

ट्रंप की वापसी और स्विंग स्टेट्स पर असर

डोनाल्ड ट्रंप ने 2016 में राष्ट्रपति बनकर अमेरिकी राजनीति में एक नई दिशा दी थी। ट्रंप का प्रभाव अब भी कई स्विंग स्टेट्स, जैसे कि फ्लोरिडा, ओहायो, और जॉर्जिया, में दिखाई देता है। राष्ट्रवाद, सीमाओं की सुरक्षा, और अर्थव्यवस्था पर उनका जोर उन्हें उन मतदाताओं के बीच लोकप्रिय बनाए रखता है जो इन मुद्दों को प्राथमिकता देते हैं।

कमला हैरिस का प्रभाव और प्रगतिशील नीतियां

कमला हैरिस, जो पहली महिला, अश्वेत और भारतीय मूल की अमेरिकी उपराष्ट्रपति हैं, ने इस चुनाव में अपना मजबूत स्थान बनाया है। हैरिस की नीतियां खासकर सामाजिक समानता, स्वास्थ्य सेवा में सुधार, और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों पर केंद्रित हैं। पेनसिल्वेनिया, मिशिगन और विस्कॉन्सिन जैसे स्विंग स्टेट्स में, हैरिस का अभियान इन्हीं मुद्दों पर फोकस कर रहा है, जहां युवा और प्रगतिशील मतदाताओं का समर्थन मिलने की उम्मीद है।

स्विंग स्टेट्स की भूमिका

अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में इलेक्टोरल कॉलेज प्रणाली के तहत, प्रत्येक राज्य को कुछ निश्चित इलेक्टोरल वोट प्राप्त होते हैं। कुल 538 इलेक्टोरल वोटों में से 270 वोट हासिल करने वाला उम्मीदवार विजेता घोषित होता है। इस संरचना के तहत, स्विंग स्टेट्स जैसे पेनसिल्वेनिया, मिशिगन, विस्कॉन्सिन, फ्लोरिडा, एरिजोना और जॉर्जिया जैसे राज्य चुनाव में विजेता का फैसला करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। इन राज्यों में वोटिंग पैटर्न अक्सर बदलता रहता है, जिससे दोनों पार्टियां विशेष रूप से इन राज्यों पर ध्यान देती हैं।

स्विंग स्टेट्स के प्राथमिक मुद्दे

स्विंग स्टेट्स के मतदाताओं की प्राथमिकताएं विशेष होती हैं, जिनमें आर्थिक स्थिति, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और रोजगार के मुद्दे शामिल हैं। 2024 के चुनाव में इन मुद्दों का गहरा प्रभाव हो सकता है:

  • आर्थिक नीतियां: महंगाई, रोजगार के अवसर और न्यूनतम वेतन जैसे मुद्दे स्विंग स्टेट्स के मतदाताओं के लिए प्राथमिकता रखते हैं।
  • स्वास्थ्य सेवाएं: स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता और सस्ती स्वास्थ्य बीमा महामारी के बाद से एक प्रमुख मुद्दा है।
  • शिक्षा: शिक्षा में सुधार और कॉलेज ट्यूशन की बढ़ती लागत, युवाओं और उनके परिवारों के लिए प्राथमिकता के मुद्दे बने हुए हैं।

स्विंग स्टेट्स में अभियान

2024 के चुनाव अभियान में दोनों पार्टियों का ध्यान स्विंग स्टेट्स पर है। इन राज्यों में रैलियों, विज्ञापनों और जमीनी अभियान पर भारी खर्च किया जा रहा है। डेमोक्रेट्स ने ग्रामीण इलाकों तक अपनी पकड़ बढ़ाई है, जबकि रिपब्लिकन पार्टी ने सामाजिक मुद्दों को अपने अभियान में विशेष जगह दी है।

स्विंग स्टेट्स के मतदाताओं की निर्णायक भूमिका

स्विंग स्टेट्स के मतदाता उम्मीदवारों के अनुभव और नीतियों का विश्लेषण करते हैं। इन मतदाताओं की प्राथमिकताएं और भागीदारी इस बार भी चुनावी परिणाम में निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं।

निष्कर्ष

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2024 में स्विंग स्टेट्स की भूमिका एक बार फिर से महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इन राज्यों के मतदाताओं के रुझान और प्राथमिकताएं इस चुनाव के परिणाम को निर्धारित करने में निर्णायक साबित हो सकती हैं।

Here are some frequently asked questions (FAQs)

1. अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव का तरीका क्या है?
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव ‘इलेक्ट्रल कॉलेज’ पद्धति पर आधारित होता है, जिसमें प्रत्येक राज्य को कुछ निश्चित संख्या में इलेक्टोरल वोट मिलते हैं। उम्मीदवार को चुनाव जीतने के लिए कम से कम 270 इलेक्टोरल वोट चाहिए होते हैं।

2. क्या अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में विदेशियों को वोट डालने का अधिकार है?
नहीं, केवल अमेरिकी नागरिक को ही राष्ट्रपति चुनाव में मतदान का अधिकार होता है।

3. चुनाव में कौन से प्रमुख मुद्दे होंगे?
अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य देखभाल, विदेश नीति, जलवायु परिवर्तन और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दे 2024 के चुनाव में प्रमुख हो सकते हैं।

4. क्या राष्ट्रपति चुनाव के परिणामों को चुनौती दी जा सकती है?
हां, चुनाव परिणामों को अदालतों में चुनौती दी जा सकती है, जैसा कि पहले भी देखा गया है, हालांकि इसे साबित करने के लिए ठोस साक्ष्य की आवश्यकता होती है।

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